तथ्य छिपाकर कोर्ट से राहत लेने वाले एलएन मेडिकल कॉलेज के 52 छात्रों पर 50 हजार रुपए का जुर्माना

भोपाल। मप्र हाईकोर्ट ने मेडिकल की फीस वृद्धि के मामले में तथ्य छिपाकर गुमराह करते हुए कोर्ट से राहत लेने वाले एलएन मेडिकल कॉलेज के 52 छात्रों पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने कहा कि एडमिशन लेने के बाद फीस बढ़ने की सूचना छात्रों को पहले से थी। 


छात्रों को इस बात की पूरी जानकारी थी कि फीस वृद्धि का मामला प्रवेश एवं फीस नियामक समिति के पास लंबित है। इसके लिए छात्रों ने बाकायदा 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर अंडरटेकिंग दी थी कि कमेटी का जो भी निर्णय आएगा वे उससे बाध्य होंगे। इसके बावजूद छात्रों ने याचिका दायर कहा कि कॉलेज प्रशासन ने बिना कोई पूर्व सूचना के अचानक फीस बढ़ा दी। कोर्ट ने जुर्माने की राशि सभी छात्रों से वसूल कर 30 दिन के भीतर मप्र विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने के निर्देश दिए।


कॉलेज प्रशासन की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि एमडी/एमएस में प्रवेश देते समय ही सभी छात्रों को फीस वृद्धि के संबंध में जानकारी दे दी गई थी। डॉ मयंक करोडे, डॉ ब्रजेन्द्र कर्ण सहित 52 छात्रों ने याचिका दायर कर बताया था कि अप्रैल 2019 में काउंसलिंग के बाद डीएमई ने 11 लाख 55 हजार रुपए वार्षिक फीस पर उन्हें एमडी एवं एमएस कोर्स में प्रवेश दिया गया था।



छात्रों का आरोप...
छात्रों का आरोप था कि डीएमई ने राइटिंग में सभी छात्राें को जानकारी दी कि फीस 2019-2020 सत्र के लिए निर्धारित है। कॉलेज प्रशासन ने फीस कमेटी के समक्ष आवेदन दिया और आयोग ने 23 नवंबर को फीस बढ़ाकर 13.75 लाख कर दी।